आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है, बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है, वहि पर आशियाँ बनाने की
श्वेत सिंह को अभी हाल ही में आयोजित मिसेज इंडिया सी इज इंडिया के
सेमी फिनाले में टॉप 5 फाइनलिस्ट में शामिल किया गया है। अपनी हिम्मत और
लगन के बदौलत श्वेता सिंह आज फैशन की दुनिया के साथ ही सामाजिक क्षेत्र
में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुयी है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के
लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है, बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है, वहि पर आशियाँ बनाने की
बिहार के पूर्णिया जिले के रूपौली थाना के भिखना बहदुरा गांव में जन्मी श्वेता सिंह ने वर्ष 2001 में जमुई से इंटर तक की पढ़ाई की। उनके पिता पवन कुमार सिंह और मां चंदा सिंह पुत्री को उच्चअधिकारी के तौर पर देखना चाहते थे लेकिन श्वेता सिंह फैशन की की दुनिया में अपनी पहचान बनाना चाहती थी।वर्ष 2002 में श्वेता सिंह की शादी जाने माने बिजनेस मैन ब्रजेश कुमार सिंह से हो गयी।आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन श्वेता सिंह के साथ के साथ ऐसा नही हुआ। श्वेता सिंह के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के सभी लोग खासकर ननद अलका सिंह ने उन्हें हर कदम सर्पोट किया।
सपने उन्ही के पूरे होते है, जिनके सपनो मे जान होती है.
पँखो से कुछ नही होता, ऐ मेरे दोस्त!! हौंसलो से ही तो
उड़ान होती है सपने उन्ही के पूरे होते है,
श्वेता सिंह यदि यदि चाहती तो एक सामान्य शादीशुदा महिला की तरह
जिंदगी जी सकती थी लेकिन वह अपने बलबूते अपनी पहचान बनाना चाहती थी साथ
ही शिक्षा के साथ ही समाज के लिये भी कुछ करना चाहती थी। श्वेता सिंह ने
शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी। वर्ष 2004 में उन्होंने स्नातक की
पढ़ाई पूरी की। श्वेता सिंह पारिवारिक दायित्वों का बखूबी निर्वहन करने
के साथ ही अपनी व्यस्त जीवनशैली से समय निकालकर समाजसेवा में भी अपना
पूरा योगदान देने लगी।पँखो से कुछ नही होता, ऐ मेरे दोस्त!! हौंसलो से ही तो
उड़ान होती है सपने उन्ही के पूरे होते है,
श्वेता सिंह का मानना है कि महिलाएं अपनी शक्ति पहचानें। अब महिलाएं सशक्त हो रही हैं, वे किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं हैं। जरूरत इस बात की है कि महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदली जाए। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है। वे विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए जीवन पथ पर अग्रसर हो।
जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
श्वेता सिंह फैशन और मॉडलिंग की दुनिया में अपना नाम रौशन करना
चाहती थी। वर्ष 2017 में श्वेता सिंह ने मिसेज बिहार तियोगिता में हिस्सा
लिया और सेकेंड रनर अप बनी। श्वेता सिंह को उनकी प्रतिभा और फैशन के
प्रति समझ और जागरूकता को देखते हुये कई मॉडलिंग हंट शो में जज भी बनाया
गया है। श्वेता सिंह इन दिनों बीएड की पढ़ाई कर रही है। वह शिक्षा के
क्षेत्र में भी लोगों को जागरूक करना चाहती है।श्वेता सिंह जल्द ही एक
स्कूल खोलने जा रही है जिसमें गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी
जायेगी।श्वेता सिंह का कहना है कि समाज के विकास में शिक्षा का
महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग शिक्षित
हो। शिक्षा ही विकास का आधार है।समाज के लोग ध्यान रखें कि वह अपने बेटों
ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बराबर शिक्षा दिलवाएं।वर्तमान परिप्रेक्ष्य
में शिक्षा की महत्ता सर्वविदित है. स्पष्ट है कि सामाजिक सरोकार से ही
समाज की दशा व दिशा बदल सकती है।सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन
ये फैले हुए उनके पर बोलते है
और वही लोग रहते है खामोश अक्सर
ज़माने में जिनके हुनर बोलते है
श्वेता सिंह आज कामयाबी की बुलंदियों पर हैं लेकिन उनके सपने यूं
ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है।श्वेता सिंह ने
बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पति को देती हैं जिन्होंने
उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है।श्वेता सिंह अपने पति को रियल हीरो मानती
है उन्हें याद कर गुनगुनाती है , आये हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बन के
, मेरे दिल में यूहीं रहना तुम प्यार-प्यार बन के।
ये फैले हुए उनके पर बोलते है
और वही लोग रहते है खामोश अक्सर
ज़माने में जिनके हुनर बोलते है
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